Monday 19 May 2014

एक धीमा जहर

समय व लोग ,
सभी साक्षी हैं
अनेकों जीवन नष्ट हुए हैं 
तो कई पच्छतावे में
जी रहें हैं .!
फिर भी नशा.. आकर्षण रहा है युवाओं का


जो हैं भविष्य इस देश का
गर वही ना संभल सके
तो संभलेगा कैसे ..देश |

सिगरेट के धुएं में 
जो झोक रहें हैं जीवन अपना 
दारू की बोतल को जो
समझ रहें हैं सुख अपना 
 सोचो!!
तुम्हारी राह देखते हुए 
मम्तत्व को ओडे..
अपने विचारों में 
" मेरे लाड़ले ने खाना ,खाया होगा भी या नहीं.…
घर आने में देर हो गई, ना जाने ठीक होगा की नहीं"
 
कितना हृदय दुखेगा उसका 
जब जानेगी 
उसके प्यार और संस्कार की 
धज्जियां उडाते हुए 
उसका लाड़ला..
"कहीं ले रहा है कश"
 
जीवन की सच्चाई से दूर
एक अलग दुनिया.…
जो क्षणिक है 
वास्त्विकता से परे है 
व महत्वहीन है 

जागिये साथियों !! 
इस कमजोरी से दूर
उन्नतशील व 
मौलिकता का जीवन जीने को .…
तमस को दूर किजिये
छिपा कर नहीं..
रोशनी पर गौर कीजिए
 
देखिएगा..
अंधेरा छटेगा 
प्रकाश फैलेगा |


प्रस्तुतकर्ता: भावना जोशी

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