Saturday 28 March 2015

वृक्ष के जैसे अडिग बनो

देखो , कैसे  खड़े  हैं वो
           सर  ऊँचा  कर  हरियाली  से ...
देखो , कैसे  खड़े  हैं  वो
           शांतिप्रिय  स्वरताली  से ...!

Wednesday 13 August 2014

भ्रष्टाचार


कभी प्रशासनिक,
 तो कभी शैक्षिक| 
भ्रष्टाचार का विशाल दायरा...
बढता जा रहा है। 
कालाबजारी , मुनाफखोरिओं से पाला 
पडते जा रहा है |

Friday 1 August 2014

दूरदर्शिता


अनेकों आहुतियां और बलिदान
कठिन परिश्रम और अत्यंत आलोचनाओं का शिकार
सोने की चिड़िया कही जाने वाली
भारत भूमि की
क्या यही कल्पना की होगी उन्होंने?
स्वतंत्रता सेनानिओं या राष्ट्रपिता बापू ने?

Monday 28 July 2014

"दहेज अभिशाप है"


"दहेज अभिशाप है"
 पंक्ति प्रभावशाली है
 चरित्र में नहीं तो चलिए
 विज्ञापन ही सही
 दहेज- या काहिए
 वर दक्षिणा
कलंक हमारे समाज पर


Wednesday 16 July 2014

धरती- असंतुलन की ओर अग्रसर


फ़ेंक रहे हैं,
उड़ा रहे हैं
बस फैलाए जा रहे हैं
बगैर परवाह करे संतुलन की
जो बदल रहा है
बिगड़ रहा है

Wednesday 11 June 2014

मनुष्य और प्रकृति


नर से नारायण हो
या फ़िर
नारायण से नर 
है दिवास्वप्न ये क्या

सामर्थ बेशक होगा तुझमें
पत्थर को पिघलाने का