तू ही तो है, जो देश का कर्णधार है.
आज जाग देख की इन भ्रष्टो को जगाना है
दूषित भारत भूमि को आज,
आज जाग देख की इन भ्रष्टो को जगाना है
दूषित भारत भूमि को आज,
तुझे स्वच्छ बनाना है
ले-ले आज प्रण
की तेरा वेग हवा से तेज है
ऐसी भर हुंकार की
भ्रष्टो का ईमान भी ढेर है
तू जाग आज की भारत माँ की यही पुकार है
ऐसा फैला प्रकाश की,
अंधकार सब दूर है
अपना अधिकार पहचान
कि यही लड़ने का हथियार है
आज जाग की अगली पीढ़ी,
जी पाए,
हमारी प्रकृति और संस्कृति का स्वाद
वो भी तो चख पाए
की आये एक स्वाधीन भारत उनके सामने
जी पाएं वो अपना जीवन
बिना निजी स्वार्थ के
की आज उठ जाग कुछ करके दिखा
जिंदा तो है पर, जीकर तो दिखा
जिंदा तो है पर, जीकर तो दिखा
निजी स्वार्थ छोड़ कभी किसी के लिए जीकर तो दिखा
भारत माँ के प्रति अपना कर्त्तव्य तो निभा.
प्रस्तुतकर्ता: अखिल तिवारी
gr8
ReplyDelete