कुछ दिनों पहले हमने महिला दिवस मनाया
बधाई सन्देश सभी ने माँ बहनों तक पहुँचाया
हमने कहा जरा अखबार तो देखें
महिलाओं पर क्या क्या लेख हैं
दो ही पन्ने अभी पलटे थे
बलात्कार के कई मामले छपे थे
कुछ कारों में कुछ ख्वाब्गारों में,
कुछ खलिहानों में तो कुछ बाजारों में.
एक और था, बच्ची नाबालिग थी
एक सुन्दर पढ़ी लिखी काबिल थी
कहते महिला का सम्मान करेंगे
बदले में अस्मत लूट लेंगे.
कैसा सम्मान कैसा सत्कार
सुनाई नहीं देती तुम्हें उनकी चीतकार
ओ अस्मत के ठेकेदारों
जरा अपनी माँ बहनों की और निहारो
सोचो वो बेटी तुम्हारी माँ बहन या बीवी होती
छाती पीट पीट कर तुम्हारे समक्ष जब वो रोती
क्या उसकी पीड़ा तुम सह पाते
कैसे उससे नज़र मिलाते
जागो पुरुष होश में आओ
जीवन दायिनी उस शक्ति को,
व्यर्थ ही अबला न बनाओ
अब महिला दिवस तभी मनाना
जब खुद को उस काबिल पाना
प्रस्तुतकर्ता: उषा तिवारी
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